देना ही मोक्ष है , पाना मृत्यु है

जितनी आपके भीतर से देने की प्रक्रिया होगी , सामनेवाला ग्रहण करे , नहीं ग्रहण  करे , उससे कुछ लेना देना नहीं है। जितनी आपके अंदर से देने की प्रक्रिया होगी , उतनी आपकी शुद्धि होती चली जाएगी। आपका हंडा बडा होते जाएगा। आप विकसित होते जाओगे। और जितना आपके हाथ से देने का कार्य होगा , उतना ही आप मोक्ष के करीब , और करीब , और करीब जाते चले जाओगे। क्योंकि देना ही मोक्ष है , पाना मृत्यु है।

मधुचैतन्य अक्टूबर २००७

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