आत्मचिंतन
आत्मचिंतन आत्मा को शुद्ध करता है , आत्मा को पवित्र करता है , आत्मा के करीब लेके जाता है । इसलिए सदैव आत्मचिंतन करना ही चाहिए । आत्मचिंतन करते -करते मैने ये जाना की मै आप के बहोत करीब रहता हूँ , बहुत पास रहता हूँ , आप भले ही पास मत रहो , मै आप के सब के करीब रहता हूँ , एक -एक के करीब रहता हूँ । तुम्हारे अस्तित्व के साथ मेरा खूब पुराना संबंध है । आप देखो , आप किसी भी समय मुझे याद करो चैतन्य के रूप मे आपको उसकी अनुभूति अवश्य होती है । यानी ? आप मेरे साथ नही रहते , लेकिन मै आपके साथ सदैव रहता हूँ , प्रति क्षण रहता हूँ । आवशकता है उस सानिध्य को जानने की , उस सानिध्य को पहचानने की , उस अस्तित्व को जानने की आवश्यकता है ।......
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परम पूज्य स्वामीजी
महाशीवरात्री
२ ४ फरवरी
[ २ ० १ ७ ]
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परम पूज्य स्वामीजी
महाशीवरात्री
२ ४ फरवरी
[ २ ० १ ७ ]
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