Dharmesh Patel:
🌸॥ गुरुशक्ति को पत्र ॥ 🌸
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हे  गुरुदेव , जिस  प्रकार  कार्य  क्षेत्र  को  विकसित  कर  रहे  हो , वैसे  ही  साधकों  के  र्हदय  को  भी  विकसित  करो  और  उनके  र्हदय  में  सभी  के  लिए  प्रेम  भर  दो । वे  जैसा  प्रेम  मुझसे  करते  है , वैसा  ही  प्रेम  वे  प्रत्तेक  मनुष्य  से  करे । क्योंकि  केवल  "बड़ी छत "बना  कर  क्या  करना  है ? उस  बड़ी  छत  के  नीचे  मेरे  सारे  बच्चे  एकत्र  होना  चाहिये । मेरी  स्थिति  उस  "कुतीया " जैसी  है  जिसके  आठ  बच्चे  होते  है  तो  भी  वह  सभी  बच्चों  को  एक  साथ  अपने  स्तनोँको  चिपका  कर  ही  रखना  चाहती  है ।
वैसे  ही  साधकों  की  संख्या  लाखों  की  हो  गई  पर  मुझे  मेरा  प्रत्तेक  साधक  प्यारा  है , दुलारा  है । मेरे  सभी  बच्चों  को  सुबुद्धि  दे ताकि  मेरे  जीवन  का  वे  सही  उपयोग  ले  सके ।  मुझसे  सही  मार्गदर्शन  पा  सके , मुझसे  सही  प्रश्न  पूछ  सके , मुझसे  शाश्वत  कुछ  प्राप्त  कर  सके ।  अनुभूति  का  "बीज "उनके  भीतर  भी  "आत्मभाव "अंकुरित  कर  सके ।  मेरा  यह  भाव  जानने  भी  मेरे  पास  कोई  नही  आता , इसलिए  यह  पत्र  लिख  कर  ही  मै  संतोष  कर  लेता  हूँ ।  और  क्या  करू ?

आपका
बाबा स्वामी

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