अतिसूक्ष्मता प्रता होने पर ही भीतर की सूक्ष्म शक्तियाँ  जागृत होती हैं। मनुष्य के शरीर में सकारात्मक शक्तियों का भंडार है। मनुष्य इतने बड़े भंडार के साथ जीवन व्यतीत करता है और मनुष्य का जीवन भी समाप्त हो जाता है , पर उसे अपने पास की शक्तियों अहसास ही नही होता है।
भाग १-- ३९०

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