[08/05 7:37 am] Sachin Raval: 🌹58. जय बाबास्वामी.🌹
"समर्पण ध्यान का मिशन.९.
७६. सदगुरु का शरीर माध्यम है परमचैतन्य तक पहुँचने का, *'सदगुरु का शरीर'* परमचैतन्य नहीं है।
७७. सदगुरु भी अपना *'कार्य'* हो जाने के बाद अपने शरीररूपी माध्यम को छोड देगा। तो वह खुद छोडने वाला है, उसे आपको पकडने कैसे देगा ?
७८. इसीलिए सदगुरु *'अपने शरीर'* को आप से सदैव दूर रखता है ताकि आपका चित्त उसके शरीर पर नहीं, उस शरीर के भीतर से बहनेवाली चेतना के ऊपर रहे। यही उसके जीवन का उद्देश्य है।
७९. सदगुरुरूपी रास्ता ढूँढने में ही मनुष्य का जीवन चला जाता है। किसी को जल्दी, तो किसी को देर से मिलता है क्योंकि रास्ता मिलना ही जीवन में काफी नहीं होता, रास्ते पर चलना पडता है। और चलने के लिए समय चाहिए। अगर आपके पास समय ही नहीं हो तो रास्ता स्वयं कुछ नहीं कर सकता। युवा साधक वे भाग्यवान् लोग हैं जिन्हें अपने जीवन के प्रारंभ में ही रास्ता मिला और मंजिल तक पहुँचने के लिए उनके पास पर्याप्त उम्ररूपी समय भी है क्योंकि रास्ते पर चलने के लिए समय तो चाहिए।
८०. जीवन में समय बडा महत्वपूर्ण है। *"इसीलिए प्रत्येक साँस को सकारात्मक रूप में जिएँ"* क्योंकि एक-एक क्षण जीवन का महत्वपूर्ण है। किसी भी क्षण को व्यर्थ न गँवाएँ। और दूसरों में चित्त डालकर चित्त गंदा तो बिल्कुल न करें क्योंकि फिर चित्तशुद्धि के लिए कई क्षण खराब करने होंगे।
८१. आनेवाला युग चित्तशक्ति का युग होगा। सारा शक्ति का केन्द्रीयकरण चित्त से होगा। चित्तशक्ति ही विश्व के नवनिर्माण में निर्णायक सिद्ध होगी।
८२. सबकुछ चित्तशक्ति से करना संभव होगा। चित्तशक्तिवाले लोग ही महत्वपूर्ण होंगे। शक्तियों का सारा समीकरण इन्हीं लोगों के इर्दगिर्द होगा। चित्तशक्ति भविष्य में महत्वपूर्ण सिद्ध होगी।
८३. एक संतुलित समाज का निर्माण एक संतुलित, नियंत्रित चित्तवाला व्यक्ति ही करेगा।
८४. चित्तशक्ति की शुरुआत शरीर से होती है। शरीर के पहले 6 साल बडे महत्वपूर्ण होते हैं। इसी समय बुद्धि विकसित होती है। पहले १।।(डेढ) साल में मस्तिष्क विकसित होता है। यह तो मेडिकल सायन्स भी जानता है।
८५. मेडिकल सायन्स यह नहीं जानता-गर्भ के 9 माह में इन सबकी नींव रखी जाती है। पहले 3 माह में शरीर की संरचना होती है। और उस शरीर की स्थिति के अनुसार आत्मा आती है। आत्मा ही शरीर का भविष्य निर्धारित करती है।
आध्यात्मिक सत्य, पृष्ठ. ९५-९६.
[08/05 10:12 am] +91 98223 31451: 🌸 ॥ श्री गुरुशक्ति धाम ॥ 🌸
पूज्य गुरुदेव 🕉
आध्यात्मिक सत्य
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हमें अपने भूतकाल में जाने की बुरी आदत लग गई है और उसी के कारण हम भविष्यकाल में भी चले जाते है , जबकि इन दोनों पर हमारा कोई अधिकार ही नहीं होता है । पर वर्तमान में रहना चाहे , तो भी अकेले नहीं रहा जा सकता है । वर्तमान में रहने के लिए वर्तमान में रहनेवालों की सामूहिकता चाहिए । इसलिए एक ऐसे स्थान का निर्माण हुआ है जहाँ पर लाखों साधकों की सामूहिक शक्ति विद्यमान है । . . .
🙏 ॥ जय बाबास्वामी ॥ 🙏
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