Aneri:
*॥जय बाबा स्वामी॥*
*आरती द्वारा परमानंद की अनुभूती*
*३) सामूहिकता:-* हम सब श्रद्धालु भक्तजन मिलकर आरती करते हैं। जब हम एक ही समय , एक ही देवता की , एक साथ आरती करते है तब जो सामुहीकता मिलती है उससे अनेक गुना लाभ होता है और हम शीघ्र ही निर्विचारिता को प्राप्त हो जाते है।
*पृथ्वी तत्व का सान्निध्य:-* आरती के समय हम नंगे पैरों से सीधे पृथ्वीमाता के सान्निध्य में होते है जिसके कारण हमारी शुद्धि होती है। पृथ्वीतत्व का गुणधर्म है कि वह अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति से हमारे अंदर की दूषित ऊर्जा को ग्रहण करके हमारी शुद्धता और पवित्रता को बढाती है।
---- नैमिषा लालाजी
*मधुचैतन्य अक्टूबर २००११*
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