जैसे ही गुरुशक्तीधाम में प्रवेश करते है

     हम  जैसे  ही  गुरुशक्तीधाम  में  प्रवेश  करते  है , हमारा  दीमाख  काम  करना  बंद  कर  देता  है , और  एक  शून्य  की  अवस्था  प्राप्त  हो  जाती  है , और  शरीर  भाव  संपूर्ण  समाप्त  हो  जाता  है  और  आत्मभाव  स्थापित  हो  जाता  है । और  ऐसी  स्थिती  में  भी  आप  अगर   कोई  समस्या  से  ग्रस्त  हो  तो  आप  ऐसी  स्थिती  में  भी  आप  आपका  चित्त  उस  समस्या  में  डालकर  उस  समस्या  को  दूर  करने  की  प्रार्थना  करते  है , और  ऐसी  शून्य  की  स्थिती  में  की  गयी  प्रार्थना  ही  आपकी  समस्या  को  दूर  करती  है । परमात्मा  को  तो  एक  "भाव  की  भाषा " ही  समझती  है । तो  सामान्य  मनुष्य  की  भी  समस्या  केवल मंगलमुर्ति  के  दर्शन  मात्र  से  ही  दूर  होगी । ......

परमपूज्य गुरुदेव
सौराष्ट्र आश्रम
९/३/२०१४

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी