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*॥जय बाबा स्वामी॥*
साधारणतः आप किन आत्माओं की संगत में रहते हो , इसी पर सब निर्भर होता है। इसलिए आप अपनी संगत का ध्यान रखो-आप किस संगत में हो। क्योंकि आसपास के लोगों के विचारों का , आभामंडल का , अच्छी और बुरी ऊर्जा का प्रभाव तो हमारे ऊपर पडेगा ही। क्योंकि हम जिनकी संगत में रहेंगे , वैसे ही विचार हमें भी आएंगे। हमारे विचारों में भी वैसे ही लोग बार-बार आएंगे। और यह युग कलियुग कहलात है ; इसमें आसुरी शक्तियाँ , बुरी आत्माएँ, सभी विचारों को माध्यम बनाएँगी। भ्रम की स्थिती का निर्माण होना ही इस कलियुग की विशेषतः है। बुरी आत्माए विचारों के माध्यम से आएँगी; यह करे या वह करे , ऐसी स्थिती का निर्माण करेगी और जीवन में कुछ भी नही करने देंगी। क्योंकि कुछ नहीं करोगे , तभी उन बुरी आत्माओं का नियंत्रण तुम्हारे ऊपर रह पाएगा।
अतिविचार के दुष्परिणामों से इस सूर्योदय के पहले के समय बचा जा सकता है।
*हिमालय का समर्पण योग ४/१२६*
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