सब  मनुष्यों  के  प्रति  प्रेम  और  मित्रता  का  भाव  निर्माण  हो  जाता  है । यह  एक  अच्छी  आध्यात्मिक  स्थिति  का  द्योतक  है । मेरे  जीवन  में  मैं  एक  सामान्य  से  मनुष्य  में  परमात्मा  के  दर्शन  कर  पाया  और  इसलिए  परमात्मा  के  करीब  जाने  का  अवसर  मिला , परमात्मा  की  अनुभूति  पाने  का  अवसर  मिला । और  इसी  कारण  "मैं " का  अहंकार  समाप्त  करने  में  मदद  मिली  और  वीश्वचेतना  का  माध्यम  बनने  का  अवसर  मिला  और  मुझ  जैसे  सामान्य  आदमी  से  विश्वशांति  का  इतना  बड़ा  असामान्य  कार्य  विश्वस्तर  पर  हो  सका । बस  यही  एकमात्र  अंतर  मेरे  में  और  साधकों  में  मुझे  लगता  है । मुझे  सामान्य  मनुष्य  में  परमात्मा  मिला , उन्हें  अभी  भी नहीं  मिला  है । इसलिए  उन्हें  भी  सामान्य  मनुष्य  में  परमात्मा  मिले  और  वे  भी  मेरी  अनुभूति  जैसी  अनुभूति  करें  की  परमात्मा  सर्वत्र  है , प्रत्तेक  मनुष्यमात्र  में  है , यह  परमात्मा  से  शुद्ध  इच्छा  है । . . .

🔱 आध्यात्मिक सत्य 🔱
परमात्मा सर्वत्र है . . .
परमपूज्य गुरुदेव ..          🕉

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