एक वृद्ध मछूहारा

     " प्रभो , इस  विश्व  में  परमात्मा  तो  कण -कण  में  ही  फैला  है । आपको  कहाँ  अनुभव  होता  है , वह  महत्वपूर्ण  है । हमें  आप  में  अनुभव  हुआ , हमारे  लिए  आप  ही  परमात्मा  है । आपकी  कृपा  से  ही  हमारे  प्राण  बचे  है । प्रभो , परमात्मा  किसे  मानना  है , यह  आत्मा  का  शुद्ध  भाव  है । बस , आत्मा  जिसे  मान  ले , वही  परमात्मा  है । हमें  आपके  दर्शन  करके  ऐसा  अनुभव  हुआ  की हमने  परमात्मा  को  पा  लिया  है । "
एक वृद्ध मछूहारा
ही.का.स.यो.२-३२

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी