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*॥जय बाबा स्वामी॥*

भला फूलों में ऐसा क्या है , जो उसे विश्व-संस्कृती का अविभाज्य अंग बनाता है। दर असल , फूल किसी भी स्थान को सजीव-सुंदर चैतन्य प्रदान करते हैं। फूल किसी भी स्थान की दूषित ऊर्जा को शोषित कर उस स्थान को चैतन्य से परिपूर्ण करते हैं।

पूजा के स्थान , जहाँ मानव नतमस्तक हो अपनी दूषित ऊर्जा समर्पित कर नवचैतन्य ग्रहण करने का प्रयास करता हैं , वहाँ फूल उस दूषित ऊर्जा को ग्रहण कर सुख जाते हैं अथवा मूरझा जाते हैं , किंतु पूजा के स्थान को दूषित नहीं होने देते।

विवाह के समय परिवारजनों एवं ईष्ट-मित्रों का चित्त दुल्हा-दुल्हन पर होता है। जाने-अनजाने में भी सभी की दूषित ऊर्जा का परिणाम नवदंपत्ति पर न हो , इसलिए उनके शृंगार में फूलों का प्रयोग होता है।

        ---   पूज्या गुरुमाँ
*मधुचैतन्य जुलै २००५/६*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Vijaykumar shinde:
*:महत्वपूर्ण सुचना:*

१) कृपया , ध्यान दें कि प्रार्थनाधाम के पुराने टेलिफोन नं.६५०५५५ और ६५१५५५ अब सेवा में नहीं हैं।

२) अब से
www.samarpanmeditation.org वेबसाईट पर २४*७ PRAYER CENTRE पर प्रार्थना दर्ज की जा सकती है।

३) फिलहाल , प्रार्थना सिर्फ हिंदी या अंग्रेजी भाषा में ही दर्ज की जा सकती है।

४) कृपया , अपनी प्रार्थना दिन में केवल एक बार ही दर्ज  करें। एक ही प्रार्थना , कृपया , बार-बार दर्ज ना करें।

५) *आपातकालीन स्थिति (Emergency) में* मोबाईल नं. *(+९१) ९५७४६५१५५५* पर प्रार्थना दर्ज कराई जा सकती है।

६) किसी समस्या निवारण के लिए १५-१५ दिन के अंतराल से प्रार्थना केवल तीन बार ही दर्ज करें। प्रार्थना का सफल होना आपके संपूर्ण विश्वास और श्रद्धा पर निर्भर करता है।

७) वेबसाईट पर फीडबैक लिंक पर कृपया अपने सुझाव और प्रार्थना होने के बाद अपना प्रतिभाव अवश्य दें। प्रार्थना दर्ज करने के बाद समस्या के समाधान के विषय में आप अपना अनुभव भी फिडबैक में लिख सकते हैं या edit.madhuchaitanya@gmail.com पर ई-मेल कर सकते हैं।

८) वर्ष २०१७ में कुल मिलाकर ८३,११९ प्रार्थनाएँ दर्ज हुई थीं जिसमें से ५५०९ आपातकालीन प्रार्थनाएँ थीं। ३००० लोगों ने धन्यवाद देकर अपना प्रतिभाव व्यक्त किया।

*मधुचैतन्य मार्च-अप्रैल २०१८*

*॥जय बाबा स्वामी॥*

Jbs:
*॥जय बाबा स्वामी॥*

भला फूलों में ऐसा क्या है , जो उसे विश्व-संस्कृती का अविभाज्य अंग बनाता है। दर असल , फूल किसी भी स्थान को सजीव-सुंदर चैतन्य प्रदान करते हैं। फूल किसी भी स्थान की दूषित ऊर्जा को शोषित कर उस स्थान को चैतन्य से परिपूर्ण करते हैं।

पूजा के स्थान , जहाँ मानव नतमस्तक हो अपनी दूषित ऊर्जा समर्पित कर नवचैतन्य ग्रहण करने का प्रयास करता हैं , वहाँ फूल उस दूषित ऊर्जा को ग्रहण कर सुख जाते हैं अथवा मूरझा जाते हैं , किंतु पूजा के स्थान को दूषित नहीं होने देते।

विवाह के समय परिवारजनों एवं ईष्ट-मित्रों का चित्त दुल्हा-दुल्हन पर होता है। जाने-अनजाने में भी सभी की दूषित ऊर्जा का परिणाम नवदंपत्ति पर न हो , इसलिए उनके शृंगार में फूलों का प्रयोग होता है।

स्त्रीया जब  बालो में पुष्प धारण करती है , तब उनमें भी जो दूषित ऊर्जा होती है अथवा यदि वे दूषित स्थान पर जाए , तो उस स्थान की दूषित ऊर्जा से वे फूल ही उन्हें बचाते हैं , दोष मुक्त करते हैं।

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