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पानी का गुणधर्म हे- बहना, आग का गुणधर्म हे- जलना । ठीक वैसे ही मनुष्य का गुणधर्म हे - प्रेम करना । प्रेम तत्व बहने लगने के बाद मनुष्य सभी से ही प्रेम करने लग जाता हे । वह सब में ही परमात्मा के दर्शन करने लग जाता हे और उसे सर्वत्र शक्ति के दर्शन होने लग जाते हे । फिर इस प्रेम तत्व के कारण ही आध्यात्मिक प्रगति होने लगती हे और मनुष्य अपने "में" के बूंद के अस्तित्व से सागर के अस्तित्व में बदल जाता हे ।
🌺प.पु.श्री शिवकृपानंद स्वामीजी🌺
🙏जय बाबा स्वामी 🙏
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