आत्माशांति से ही विश्वशांति

आत्माशांति से ही विश्वशांति प्राप्त की जा सकती है। हम इस सिध्दांत को ही मानते हैं। जैसे कहते है कि बूँद-बूँद से घड़ा भरता है। ठीक इसी प्रकार से , विश्वशांति एकदम कभी नहीं आ सकती। प्रत्येक मनुष्य अपना ही नियमित ध्यान करे , अपने - आपको आत्मा समझे और अपने आसपास आभामण्डल का एक छोटा- सा विश्व निर्माण करे ले , यह प्रत्येक मनुष्य के लिए संभव है। और वह छोटा- सा विश्व शांत होगा , कल्याणकारी होगा। प्रत्येक मनुष्य के आभामण्डल के पंद्रह - बीस फीट के दायरे में शांति का वातावरण होगा। ऐसा ही छोटा - छोटा विश्व प्रत्येक मनुष्य तैयार कर ले तो हो सकता है , एक दिन सारे विश्व में ही शांति स्थापित हो जाए । लेकिन विश्व में कभी शांति स्थापित भी हुई तो वह होगी आत्मशांति से। बिना आत्मशांति के विश्वशांति की बात बेकार ही होंगी।

भाग - ६ - १५७

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