जीवन की सारी समस्याएँ इसी शरीर के कारण

जीवन की सारी समस्याएँ इसी शरीर के कारण होती हैं।  शरीर एक साधन है। इसका उपयोग आत्मोन्नति के लिए करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। उस शरीर की समस्याओं में उलझकर नहीं रहना चाहिए। जीवन की कोई भी समस्या स्थाई नहीं है। सब समय के साथ साथ बदलती रहती है। जब शरीर ही शाश्वत नहीं है , तो शरीर की समस्याएँ कैसे शाश्वत रह सकती है?

*हिमालय का समर्पण योग ३/१३६*

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