सारे आध्यात्मिक क्षेत्र में केवल साधना करना ही साधक के हाथ में होता है।

सारे आध्यात्मिक क्षेत्र में केवल साधना करना ही साधक के हाथ में होता है। पर साधना के बाद गुरुदेव कब प्रसन्न होंगे , यह कोई नहीं बता सकता है। साधक को सदैव ध्यान करके अपना चित्त शुद्ध व पवित्र बनाकर ही रखना होता है। गुरूकृपा की बरसात कब होगी , यह कोई नहीं कह सकता। होगी अवश्य , पर कब , यह कोई नहीं जानता। किसी भी क्षण हो सकती है। हमें उस कृपा को ग्रहण करने के लिए तैयार होना चाहिए।

*हिमालय का समर्पण योग २/३५४*

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