गुरूकार्य

गुरू से भी बड़ा , गुरू से भी महान , गुरू से भी शाश्वत गुरू का कार्य होता है क्योंकि गुरू अपने-आप को ही समर्पित कर देता है। फिर जब गुरू अपना अस्तित्व ही गुरूकार्य को समर्पित कर देता है , तो हमें कार्य के माध्यम से ही गुरू के आशीर्वाद मिलते हैं। गुरूकार्य ही सबकुछ है। जीवन में गुरूकार्य करो।

   --- *प .पू.स्वामीजी*
*हिमालय का समर्पण योग २/३४४*

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