यह ध्यान पद्धति मनुष्य को आत्मा के अधीन होकर ध्यान करना सिखाती है और इस ध्यान पद्धति से ध्यान करने से मनुष्य पर आत्मा का नियंत्रण धीरे-धीरे हो जाता है। अब अगर यह ध्यान कटने से मनुष्य के शरीर का नियंत्रण कम होने लगता है तो कौन सा शरीर है जो अपने नियंत्रण को कम करने देगा ? कोई भी शरीर अपना नियंत्रण कम करना नहीं चाहता। और इसीलिए इस ध्यान पद्धति का विरोध आपका शरीर ही करता है। प्रथम तो वह आपको ध्यान करने को बैठने नहीं देगा। अगर आप ध्यान करने बैठे तो विरोध करेगा। अब विरोध करेगा यानी क्या करेगा ? आपको कभी जहाँ खुजली नहीं छूटी , वहाँ आपको खुजली होने प्रारंभ होगी। आपको डकारें आना प्रारंभ होंगी , आपकी गैस आपके नीचे के द्वारे से भी निकलेगी , आपको नींद आने लग जाएगी ,आपको खाँसी आने लग जाएगी , आपको छींके आने लग जाएँगी। इस प्रकार से , प्रथम विरोध में तो सारा शरीर ही खड़ा हो जाता है। बाद में अगर आपने यह सब सह लिया और फिर ध्यान करने का प्रयत्न किया तो फिर शरीर बुद्धि का उपयोग करता है। यह आपके बुद्धि के द्वारा आपको यह समझाने का प्रयास करेगा कि यह ध्यान से शरीर को आत्मा के नियंत्रण में करना , यह तेरे जैसे सामान्य मनुष्य के लिए कभी संभव नहीं है
भाग - ६ - १९३/१९४

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