शरीर के भीतर तो जो आत्मा है , उसके आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रगति के समान अवसर है।

इस शरीर के भीतर तो जो आत्मा है , उसके आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रगति के समान अवसर है। अब बताओ , आदमी का खून और औरत का खून इसमें कोई अंतर है क्या ? नहीं , औरत का खून आदमी को और आदमी का खून  औरत को आराम से चढ़ाया जाता है। कुछ अंगों को छोड़कर स्त्री और पुरुष की शरीर संरचना भी समान ही है। तो आप अगर सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं तो समानता ही अधिक है , यह आपको अनुभव होगा। इसीलिए कभी यह शंका मन में मत लाओ की स्रियाँ आध्यात्मिक प्रगति नहीं कर सकती हैं और इस हीन मानसिकता से बाहर आओ। यही हीन मानसिकता ही आपको कमजोर कर रही है। आपको संगठित होकर प्रयास करने की आवश्यकता है। स्त्री की शत्रु स्त्री ही होती है , इस कहावत को गलत सिद्ध करने की आवश्यकता है

भाग - ६ - १६१

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