_* मनुष्य का जन्म ही गुरुसान्निध्य के लिए हुआ है। लेकिन यह गुरुसान्निध्य मनुष्य को किस जन्म में मिलेगा, वह निस्चित नहीं होता है। जब भी प्राप्त हो, उसे अपने जीवन की धरोहर समजकर संजोना चाहिए। पता नहीं, वह क्षण जीवन में फिर मिले ,न मिले।क्यूँकि  ये वे क्षण होते है जिन्हें यादकर  हम जीवनभर ऊर्जा पाते है, जीवन भर एक आत्मिक सुख का अनुभव करते है। *_
_* जय बाबा स्वामी*_
🍁🙏🏻🍁
_*HSY 3 pg 69-70*_

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