नाभि चक्र की समस्या ही सबसे बड़ी है।

वे लोग जाने के बाद भी मैंने मेरा नियमित ध्यान किया और बाद में चित्त से यह जाना - नाभि चक्र की समस्या ही सबसे बड़ी है। वह एक चक्र ही सारे चक्र खराब कर देता है। घरका वातावरण , घरमें आत्मग्लानि , या किसी के प्रति द्वेष , या अन्य कोई कार्य जो वे करना चाहते थे वह नहीं हो पाया। मनुष्य अगर उसके मनमाफिक सब कार्य हों तो संतुलित रहता है। लेकिन कुछ भी मन के विरोध में कार्य हो तो असंतुलित हो जाता है। लेकिन सोचो , सदैव तुम्हारे मनमाफिक कार्य कैसे हो सकता है? ध्यान जीवन का यही संतुलन बनाने में मद्त करता है। क्योंकि सुख और दुःख दिनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। 

भाग - ६ - १५५

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