यह सब कार्यक्रम इन जवानों ने ही आयोजित किया है। अब मैं आपको उनको ही सौंप देता हूँ , ताकि आप आराम से उनसे खुलकर बात कर सकें। ऐसा कहकर वे अधिकारी बाजू में चले गए। मुझे उनकी यह बात बड़ी अच्छी लगी क्योंकि उनकी उपस्थिति में ये जवान मुझेसे खुलकर बातें नहीं करते , ऐसा मुझे लगा। बाद में जो जवान रोज ही शिबिर हेतु आते थे उन्हों में एक छोटे अधिकारी ने पुष्प गुच्छ देकर मेरा स्वागत किया और उन्होंने जवानों को संबोधित करके कहा ,
हम प्रतिदिन इनकी शिबिर की सुरक्षा हेतु जाते थे , उस समय हम ड्यूटी पर थे। तो हमने हॉल में शिबिर में क्या हो रहा है उधर ध्यान नहीं दिया , हमारी सभी का ध्यान अपनी चैकसी पर ही था। लेकिन हमें वहाँ बाहर खड़े रहना भी अच्छा लगता था और समय कब बीत गया यह पता ही नहीं चलता था। हमारे साथ कई बार इन दिनों में कई अलग-अगल जवान भी आए लेकिन यह जो मेरा अनुभव था यह समान ही सभी मेरे साथी जवानों ने मुझे प्रार्थना की - अपने बड़े अधिकारी खूब व्यस्त रहते हैं फिर भी इस शिबीर में नियमित रूप-से जाते हैं और वे इस शिबीर के भीतर क्या-क्या होता होगा।
भाग -६ -१६९/१७०

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी