ध्यान करने से दो प्रकार की घटनाएं घटती हैं।

ध्यान करने से दो प्रकार की घटनाएं घटती हैं। प्रथम तो, खराब विचारो से शरीर के आसपास जो खराब ऊर्जा निर्माण हुई रहती है, वह इकट्ठा होने बैंड हो जाती है। और फिर जो खराब ऊर्जा जमा है, वह भी धीरे धीरे समाप्त हो जाती है। दूसरा प्रभाव यह होता है - सम्पूर्ण खराब ऊर्जा समाप्त होने के बाद अच्छी, पवित्र, सकारात्मक ऊर्जा निर्माण होना सुरु हो जाती है और धीरे -धीरे , वह सकारात्मक, अच्छि ऊर्जा इकट्ठा होकर, अपने शरीर के आसपास अच्छि ऊर्जा का आभामंडल-सा बना देती है। और वह आभामंडल बन जाने के बाद नकारात्मक विचार नहीं आते है। और शरीर कही भी रहे;खराब सामूहिकता में रहे, खराब दूषित उर्जावाले स्थान पर रहे; उस बुरी सामूहिकता का , उस बुरे स्थान का प्रभाव हम तक पहुंच ही नही पाता है। इस प्रकार मनुष्य सदैव बुरे प्रभाव से बचे रहता है। यानी आत्मज्ञान केवल, अच्छे और बुरे कर्म क्या हैं, इसका ज्ञान ही नही देता, बल्कि बुरे कर्म से बचाता भी है। वास्तव में, कोई भी कर्म करने के लिए ऊर्जा शक्ति की आवश्यकता रहती है। जब मनुष्य के आसपास बुरी ऊर्जा ही नही होगी तो बुरा कर्म घटित कैसे ही सकता है? बुरे कर्म से बचने का ध्यान ही एक मात्र मार्ग है।
श्री शिवकृपानंद स्वामीजी,
हिमालय का समर्पण योग -1/473-474

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