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⚜♻॥ समर्पण ध्यान संस्कार ॥ ♻⚜
एक पवित्र और शुद्ध आत्मा के द्वारा एक पवित्र और शुद्ध आत्मा पर किया गया यह एक संस्कार है । इस प्रक्रिया को घटित। होने के लिए और इस संस्कार को ग्रहण करने के लिए प्रथम आत्मा होना पड़ता है । आत्मा ही इस संसार में नाषवान नहीं है । बाकी सब नाषवान है । जब आप इस पवित्र संस्कार को ग्रहण करते है और अपने भीतर विकसित करते है तो आप मानव से महामानव हो जाते है और फिर आपका शरीर तो माध्यम बन जाता है । और फिर मेरे जैसे एक सामान्य मनुष्य के माध्यम से भी २२ वर्ष में ही विश्वस्तर का कार्य हो जाता है और यह हो सकता है । इसका उदाहरण मुझे हिमालय से समाज में भेजकर "हिमालय के गुरुओं " ने दिया है । यह केवल "समर्पण संस्कार " से ही संभव हो सका है । ....
⚜ पूज्य गुरुदेव ⚜
♻ परिचय ♻
🎍आत्मेश्वर 🎍
🌸
Jbs:
🌹 .जय बाबा स्वामी.🌹
" अब जीवन में देने की इच्छा करो, परमात्मा तुम्हारी झोली उसीसे भर देगा जो तुम देना चाहते थे। तुम लोगो को खुशियां देने की शुद्ध इच्छा रखोगे, तुम्हारे जीवन में खुशियों की बरसात होगी ।
तुम लोगो को सुख देने की शुद्ध इच्छा रखोगे, परमात्मा तुम्हे सुखी कर देगा ।तुम लोगों में धन बाँटने की शुद्ध इच्छा करोगे, परमात्मा तुम्हारे ऊपर धन की बरसात कर देगा। तुम लोगो में प्रेम बाँटने की शुद्ध इच्छा रखोगे परमात्मा तुम्हारे ऊपर प्रेम की झड़ी लगा देगा। तुम जीवन में आत्मीयता बाँटने की इच्छा रखोगे, परमात्मा तुम्हे आत्मीयता से भर देगा।
तुम दूसरे बच्चों को सुखी रखने की शुद्ध इच्छा रखोगे, परमात्मा तुम्हारे बच्चों को सुखी रखेगा। तुम जीवन में आदर पाना चाहते हो तो जीवन में दुसरो को आदर दो। जीवन में तुम केवल दूसरों में बाँटने की इच्छा रखो, तुम्हे जीवन में सबकुछ मिल जायेगा ।
हि.स. योग -४ , पेज. ४२०
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*॥जय बाबा स्वामी॥*
आध्यात्मिक मार्ग में प्रगति करनी हो तो अपनी इच्छा छोडनी पडती है , अपनी स्वयं की कोई इच्छा ही नहीं होती है , सबकुछ 'उसकी' इच्छा पर निर्भर होता है।
--- *बाबा स्वामी*
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Aneri:
ना हम निर्माण करते हैं और ना हम पालन करते हैं। हम कुछ नहीं करते हैं, पर सब कुछ हो जाता है। अपने आप को विकसित करने का विचार भी नहीं आएगा और न अपने आप को विकसित करने का प्रयास करोगे। यह प्रयास ही हमारा अस्तित्व छोटा कर देता है। प्रयास मत करो, केवल प्रवाह बनो! प्रयास तुम्हें परमात्मा से अलग करेगा , प्रवाह परमात्मा में लीन कर देगा। प्रवाह बनो प्रवाह !
हिमालय का समर्पण योग
💝 जय बाबा स्वामी 💝
_*हमें जीवन में सुख और दुःख का अहसास दिलानेवाली एक मन की स्थिति है, एक भ्रम है। उसके पार चले जाओ तो न कोई सुख है, न कोई दुःख है। अब हमारा एक भ्रम है जो शाश्वत नहीं है। *_
_* जय बाबा स्वामी*_
🌼🙏🏻🌼
_* HSY 1 pg 138*_
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