बचपन से मेरी भी मिलिट्री में ही भर्ती होने की इच्छा थी। बचपन में बड़ा होकर मैं मिलिट्री का जवान बनूँगा यह मैंने स्वप्न देखा था। क्योंकि मेरे एक रिश्तेदार मिलिट्री में है। उनका व्यवस्थित रहना , व्यवस्थित बात करना , व्यवस्थित रूप से चलना और समाज में मिला उनका आदर देखकर मैं प्रभावित हुआ और मैंने भी मन में सोचा था कि बड़ा होकर मैं भी सिपाही बनूँगा , देश की सेवा करूँगा। और मिलिट्री में आसाम में PWD के विभाग में मेरा चयन भी हो गया था। लेकिन शायद मेरा योग नहीं था , उसी समय मैं बीमार पड़ गया और मैं इच्छा करके भी मिलिट्री में नहीं जा सका था। यानी मेरे जीवन की पहली पसंद मिलिट्री ही थी। इसीलिए आज आपकी सेवा करके मुझे भीतर से ही आनंद हो रहा है
भाग - १७५/१७६

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