शरीर अपना नियंत्रण आपके शरीर पर बनाए रखना ही चाहेगा। एक लकीर को अगर बिना काटे कम करना हो तो उस लकीर के सामने उससे बड़ी लकीर खेंच दो तो पहली वाली लकीर बिना काटे आप छोटी कर देते हो। ठीक इसी प्रकार से , को अगर हमें हमारे शरीरभाव को कम करना है ताकि शरीर पर शरीर का नियंत्रण कम हो सके , तो आत्मभाव को बठाना होगा। अगर आत्मभाव को बठ़ा जाएगा तो शरीरभाव स्वयं ही कम हो जाएगा और आत्मभाव को बठ़ाने का मार्ग है - आप अपने - आपको शरीर न समझते हुए आत्मा समझें। आप अगर अपने - आपको आत्मा मानते हैं तो आपके भीतर का आत्मा का भाव बठेंगा और आपके भीतर का आत्मभाव बठ़ाने के लिए आपको रोज  मैं एक पवित्र हूँ मैं एक शुद्ध आत्मा हूँ इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे आप एक शरीर नहीं हैं , आप एक आत्मा हैं यह भाव आपके भीतर जितना बठ़ेगा , आपके शरीर पर आपने आत्मा का नियंत्रण होना प्रारंभ हो जाएगा और आप समस्याओं से मुक्त हो जाओगे। मनुष्य की सभी समस्याएँ मनुष्य के शरीर से ही संबंधित होती हैं। और जब मनुष्य का शरीरभाव कम होगा तो सभी समस्याओं से मनुष्य को मुक्ति मिल जाएगी
भाग - ६ - १९४/१९५

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