समर्पण ध्यान संस्कार
एक पवित्र और शुद्ध आत्मा के द्वारा एक पवित्र और शुद्ध आत्मा पर किया गया यह एक संस्कार है । इस प्रक्रिया को घटित। होने के लिए और इस संस्कार को ग्रहण करने के लिए प्रथम आत्मा होना पड़ता है । आत्मा ही इस संसार में नाषवान नहीं है । बाकी सब नाषवान है । जब आप इस पवित्र संस्कार को ग्रहण करते है और अपने भीतर विकसित करते है तो आप मानव से महामानव हो जाते है और फिर आपका शरीर तो माध्यम बन जाता है । और फिर मेरे जैसे एक सामान्य मनुष्य के माध्यम से भी २२ वर्ष में ही विश्वस्तर का कार्य हो जाता है और यह हो सकता है । इसका उदाहरण मुझे हिमालय से समाज में भेजकर "हिमालय के गुरुओं " ने दिया है । यह केवल "समर्पण संस्कार " से ही संभव हो सका है । ....
⚜ पूज्य गुरुदेव ⚜
♻ परिचय ♻
🎍आत्मेश्वर 🎍
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