सारा खेल आत्मा का है

सारा खेल आत्मा का है और आत्मा का नियंत्रण शरीर के ऊपर कितना होता है , उसी पर सारा निर्भर है। और शरीर और आत्मा दोनों समान हैं तो कौन किस पर नियंत्रण कर सकता हैं? शरीर को आस-पास की गलत गतिविधियों की सामूहिकता मिल जाती है और वह आत्मा पर ही नियंत्रण कर लेता है। मनुष्य की सोचने व समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है और आत्मा का नियंत्रण ही समाप्त हो जाता है। और फिर जैसी संगत मिलती है , वैसा कार्य शरिरों की सामूहिकता के कारण यह शरीर भी करने लग जाता है , फिर चाहे उसमें उसकी आत्मा सहमत हो या न हो। और आत्मा का नियंत्रण ही शरीर पर नहीं रहता है क्योंकि वह मनुष्य शरीर के अधीन हो चुका रहता है या वासनाओं के अधीन हो चुका रहता है। और इसी के विरुद्ध .......

*हिमालय का समर्पण योग २/२३२*

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