Vivek ( जय बाबा स्वामी ):
🙏  एक मित्र ने पूछा है कि ध्यान के अतिरिक्त जो समय बच रहा है शिविर में,
उसमें हम क्या करें ???

उन्होंने पूछा है: क्या हम आपकी किताबें पढ़ें ???

नहीं, ध्यान शिविर में किताबें न पढ़ें तो अच्छा। मेरी या किसी की, कोई किताब न पढ़ें।

जो समय बचता हो, एकांत में किसी वृक्ष के नीचे बैठ जाएं, ध्यान में लगाएं, मौन में लगाएं।

किताबें फिर कभी पढ़ी जा सकती हैं। और किताबों से पढ़ कर कभी कुछ बहुत मिलने को नहीं है।

इसलिए यहां ध्यान शिविर में तो जितनी देर डूब सकें ध्यान में उसकी फिक्र करें। जो भी खाली समय बच जाए--खाने, सोने, स्नान करने से, वह वृक्षों के नीचे एकांत में कहीं भी बैठ जाएं।

जो भी हो रहा हो उसे होने दें।
उसकी भी फिक्र न करें कि अकेले में करूंगा तो कौन क्या कहेगा। कोई यहां कुछ कहने को नहीं है.......😍

❣ _*ओशो*_  ❣

🌷 *जो घर बारे आपना-(साधना-शिविर)-प्रवचन-04*  🌷

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