_*गुरु की स्थिति सूर्य के समान होती है। वह घर के ऊपर धूप कर सकता है, पर घर में घूस नहि सकता है। वह घर में तभी घुसेगा, जब घर का मालिक अपना द्वार खोलेगा। *_
_* जय बाबा स्वामी*_
🌻🙏🏻🌻
_*HSY 2 pg 364*_
🌹🙏🏻 ये युगपुरुष अच्छी, योग्य आत्माओ के सानिध्य में प्रसन्न होते हैं । इनके आसपास कई शक्तियों का चक्र धूमता ही रहता है । वह चक्र किसी भी अयोग्य व्यक्ति को उनके आसपास फटकने ही नही देता है । फिर वह स्वयं उस व्यकित को कितना भी पसंद करे, फिर वह स्वयं उस व्यकित को कितना भी चाहे, उस अयोग्य व्यकित को वे शक्तियां दूर फेंक देती हैं । 🙏🏻🌹
🌹 सद्गुरु श्री बाबा स्वामी 🌹
हि. स. यो. - 2, पृष्ठ 81
*॥जय बाबा स्वामी॥*
आध्यात्मिक ज्ञान तो अनुभूतियों पर आधारित होता है। जैसे-जैसे अनुभूतियाँ बढ़ती जाएँगी , ज्ञान भी बढ़ता जाएगा। ये अनुभूतियाँ शिष्य के समर्पण पर आधारित होती है। वह जितना समर्पित होता जाएगा , वह उतनीही अनुभूतियाँ पाता जाएगा।
आध्यात्मिक ज्ञान पाना इतना सरल नहीं है। इसमें कोई समयावधि नहीं होती और न कोई पाठ्यक्रम होता है और न ही कोई नियम होते है। सबकुछ एक 'समर्पण पर' ही निर्भर होता है।
*हिमालय का समर्पण योग ३*
*॥आत्म देवो भव:॥*
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