सारी भविष्य की संभावनाएं युवा पीढ़ी के हाथ मे है। आनेवाली मनुष्यजाती का निर्धारण युवापिढी ही करेगी आपने अपने जीवन मे कितनी ही संपत्ति जोड ली और संतति 'कुपूत' है, तो वह आ...
गुरु जी तुम्हें सौंपते है, वह 'गुरूकृपा' है और तुम उनका क़र्ज़ चुकाने के लिए सौंपते हो, वह 'गुरुदक्षिणा' है। बस 'गुरूकृपा' और 'गुरुदक्षिणा' में ही जीवन है। HSY 1 pg 146
वर्तमान में रह कर ही प्रगती की जा सकती है । 'जब जागो तब सबेरा ' ऐसी कहावत है । तो आओ ,आज जागे है तो आज से ही सही ....आध्यात्मिक उन्नति की और एक -एक कदम मजबुतीस...
"वे जीवंत मूर्तियाँ स्वयं बोल उठेंगी, वे मनुष्य के प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देंगी, प्रत्येक समस्या का समाधान देंगी अशांत मन को 'शांति' देंगी, भयभीत मन को 'विश्वास' देंगी, निरा...
एक दिन सुबह -सुबह मैने सूर्य के दर्शन किए और सूर्यदेव को ही नमस्कार करके मैने मेरे गुरूदेव को याद किया और प्रार्थना की "गुरूदेव, मेरा मन बडी दुविधा मे है। कुछ मागॅ बताइए -उप...
नदी के उस पार 'परमात्मा' होता है और नदी के इस पार 'हम' होते हैं। हम चाहकर भी उसे और वे चाहकर भी हमें मिल नहीं सकते हैं। लेकिन नदी (जीवनरूपी नदी) में एक स्थान ऐसा आया, जहाँ पर परमात्म...
" પ્રત્યેક મનુષ્ય મુક્ત છે પણ મનુષ્ય પોતાના અહંકારને કારણે સમજે છે- હું બંધનમાં છું. અને આ ભ્રમ તો જીવનભર બન્યો રહે છે. આત્મા ક્યારેય બંધનમાં હોતો જ નથી. માત્ર એક ભ્રમની દશા ...
" कुछ मूर्तियाँ अच्छे ऊर्जास्थानों का निर्माण करेंगी यानी मूर्तियों के स्थापित होने के बाद हीअच्छे ऊर्जास्थानों का निर्माण होगा।और कुछ मूर्तियों के संदर्भ में ऐसा हो...
प्रत्येक विचार की निर्मिति मनुष्य के ध्वारा ही होती हैं क्योंकि प्रकृति के कोई अपने विचार नहीं होते हैं | विचार ही अप्राकृतिक हैं | इसलिए जैसे ही हम प्रकृति में जाते हैं, स्...
*इस विश्व में परमात्मा सर्वत्र है । *वह प्रत्तेक मनुष्यमात्र में बसता है , प्रत्तेक प्राणी में बसता है । *हम पास के परमात्मा को छोड़कर बाहर के परमात्मा...
वैसे तो गुरु के दर्शन की अभिलाषा सभी साधकों को सदैव होती ही है । किंतु विशेष उत्सवों के समय यह उत्कंठा , यह अभिलाषा अपने चरमोत्कर्श पर होती है । गुरु...
'गुरुकार्य' यानी आत्मा का कार्य, जिसे करने से अपनी आत्मा को प्रसन्नता मिले, वह कार्य। क्यूँकि आत्मा को प्रसन्न करने के लिए हम जो भी कार्य करेंगे, उस से आत्मा प्रसन्न होगी। और ...
"सद्गुरु को पहचानने के लिए प्रथम निसर्ग से जुड़ना होगा और निसर्ग से जुड़ने के लिए प्रथम अबोध बालक बनना होगा। क्योंकि अबोधित के बिना पवित्रता आ नहीं सकती है। पवित्रता से मेरा ...
"गुरु साक्षात परब्रह्म " इस एक वाक्य में ही बड़ा रहस्य छुपा हुआ है । वह जिसने अनुभव कर लिया , उसे जानने के लिए कुछ बाकी ही नही रहता है । [ आध्यात्मिक सत्...
सदगुरु के लिए किया गया "गूरूकार्य " ही वह पुण्यकर्म है जो आपको लाखों आत्माओं की सेवा का अवसर प्रदान करता है । लाखों आत्माओं की सेवा करने का "सौभाग्य " ...
वास्तव में,यह 'स्थूल शरीर के सूक्ष्म शरीर में विसर्जन ' की प्रक्रिया है। लेकिन इस प्रक्रिया में अगर एक से अधिक स्थान का निर्माण हो तो वह अच्छा प्रतीत होता है। बाद में मूर्ति...
शरीर एक वाहन है और यह वाहन सर्विसिंग के लिए "आश्रमरूपी " गैरेज में साल में एक बार तो भी लाना ही चाहिए , जहाँ वह अपनी मर्जी से नही , मैकेनिक के मर्जी स...
" हे बाप्पा ! आप शुद्धता , पवित्रता का प्रतीक है और सुख -संतोष के दाता भी ! इस इट -सीमेंट के घर को तथा पंचतत्वों से निर्मित देह को शुद्ध -पवित्र रखने का प्र...
ध्यान करने से दो प्रकार की घटनायें घटती है। प्रथम तो, ख़राब विचारों से शरीर के आसपास जो ख़राब ऊर्जा निमित हुई रहती है, वह इकठा होनी बंद हो जाती है। और फिर जो ख़राब ऊर्जा जमा है, ...
समर्पण ध्यानयोग , ध्यान की वो योग पद्धति है जिस पद्धति से एक संपूर्ण योग की स्थिति आप आपके जीवन में प्राप्त कर सकते है । योग के द्वारा , आपके पूरे शर...
* आत्मा सदैव अनंत चेतना तथा परमानंद से युक्त होती है । कोई भी मनुष्य उसे जाने बिना , उसके प्रति श्रद्धा रखे बिना तथा उसमे समाहित हुए बिना सच्चा सुख प...
" वे जीवंत मूर्तियाँ स्वयं बोल उठेंगी ,वे मनुष्य के प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देंगी, प्रत्येक समस्या का समाधान देंगी अशांत मन को ' शांति ' देंगी, भयभीत मन को ' विश्वास ' देंगी, निर...
चित्त को पवित्र करने मे 12 सालो की ध्यानसाधना करनी होती है। यह क्षणभर मे संभव नही है । जो चित्त क्षणभर मे पवित्र हुआ, वह क्षणभर मे दूषीत भी हो सकता है। वह अस्थाय...
"मन "कई बुरी बाते सोचता है । "शरीर "वह सब करने को भी तयार हो जाता है , "बुद्धि "भी मान जाती है । इन तीनों से ऊपर "आत्मा " होती है । वह इन तीनों की सहमति होने पर ...
" 'હું' નો 'અહંકાર' એક શરીરનો સહુથી મોટો વિકાર છે જે ખૂબ જ સૂક્ષ્મ હોય છે. અને તે જતો રહ્યો એવું લાગે છે. પરંતું તે જતો નથી. તે રૂપ બદલી નાખે છે. એટલા માટે એના નવા રૂપને ઓળખવુ ખૂબ ક...
शरीर तो साथ नही दे रहा है , लेकिन फिर जीवित रहने की लालसा अभी बाकी है , तो उस लालसा को पूर्ण करने के लिए आत्मा को फिर दुसरा जन्म लेना पड़ता है । लेकिन ...