मनुष्य जैसे ध्यान करता है , वैसे वैसे वह प्रकृतिमय होते जाता है

मनुष्य  जैसे  ध्यान  करता  है , वैसे  वैसे  वह  प्रकृतिमय  होते  जाता  है  और  प्रकृतिमय  हो  जाने  से  सहनशिलता  उसमे  स्थापित  होनी  शुरू  हो  जाती  है । और  इस  सहनशिलता  के  कारण  मनुष्य  कठिन  से  कठिन  समय  में  भी  शांत  रहता  है ।

पूज्य गुरुदेव
ही .का .स .योग .
भाग १

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