बच्चा एक कच्चे घड़े की तरह होता है
कहते है -- बच्चा एक कच्चे घड़े की तरह होता है । आप उस मिट्टी के कच्चे घड़े को जैसा रूप दो वह वैसा ले लेता है । ठीक इसी प्रकार से प्रत्तेक सुबह मनुष्य का चित्त भी एक छोटे बच्चे की तरह होता है । आप सुबह -सुबह चित्त को जो भी आकार दो वैसा ही वह दिनभर बना रहता है । सुबह उठने के बाद के हमारे दो घंटे बड़े महत्वपूर्ण होते है । अगर हमे सुबह के समय दो घंटे अपने चित्त को भीतर रखना आ गया तो फिर स्थिर रहना [ चित्त का ] और शुद्ध रहना स्वयं ही हो जाएगा ।
पूज्य गुरुमाऊलि
ही .का .स .योग .
भाग ५ पृष्ठ ४०
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