पत्नी ने समय समय पर मुझे संभाला था और वृद्धिगत भी किया था।
पत्नी ने समय समय पर मुझे संभाला था और वृद्धिगत भी किया था। श्री शीवबाबा ने भले ही अच्छे किस्म का बीज मेरे भीतर डाला था लेकिन उस बिज को खाद और पानी देने का माली का कार्य तो पत्नी ने ही किया था। अन्यथा वह बीज कितना ही अच्छा हो , वह मर ही जाता। आज वही बीज अंकुरित होकर एक पौधा बन गया है।
[ ही.का.स.योग ]
भाग ५ पृष्ठ २५३
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