साक्षात्कार से बड़ा कोई समाज कार्य नही है ।
जैसी स्थिति परमात्मा ने मुझे दी है , गुरुकृपा में मुझे प्राप्त हुई है , मेरे सरिखि स्थिति प्रत्तेक मनुष्य मात्र को दे , ऐसा संकल्प उस मूर्ति के अंदर प्रवाहित किया गया है । कोई भी व्यक्ति , कोई भी मनुष्य आकर के उससे आत्मसाक्शात्कार प्राप्त कर सकता है । ये अद्वितीय है ! और साक्षात्कार से बड़ा कोई समाज कार्य नही है ।
पूज्य गुरुमाऊलि
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