अहंकारी मनुष्य
अहंकारी मनुष्य जब कभी जीवन में टूटता है तो बड़ी आत्मग्लानि में चला जाता है। और या तो जीवन भर उसमें से निकलता ही नहि है या तो आत्मघात कर अपने आपको ही नष्ट कर लेता है। किसी भी दिशा में अति विकास कदापि अच्छा नहि होता। सदैव संतुलित विकास आवश्यक है।
HSY 4 190
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