जो आपको अनुभूति हो रही है न , वही अनुभूति मेरेको हुई है ।

अनुभूति  समान  है ।  जो  आपको  अनुभूति  हो  रही  है  न ,  वही  अनुभूति  मेरेको  हुई  है ।  कुछ  नही  है , हमारा  चित्त  जो  बाहर  की  ओर  है , उस  चित्त  को  अंदर  की  ओर  डायवर्त  कर  दिया । लेकिन  अंदर  की  ओर  कोण  ले  जा  सकता  है ? कोई  अंदर  गया  हुआ  पुरुष  अगर  हमारे  जीवन  में  आता  है , वो  हमारे  चित्त  को  भीतर  की  ओर  लेके  जाता  है  तो  बाद  में  बाकी  भीतर  की  यात्रा  हमको  ही  करना  पड़ती  है ।

गुरुपुर्णिमा २०१४

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