प्रत्येक का आत्मा मेरा एक आश्रम है ।
आप आपके आत्मा के करीब रहो, आप मेरे ही पास रहोगे, मेरे ही साथ रहोगे । यह आश्रम आश्रम तो छोड दो , मेरे तो आश्रम प्रत्येक के घर घर मे बसे हुए है । प्रत्येक का आत्मा मेरा एक आश्रम है । उसके अंदर आकर बैठा करो ना। यह नियमित साधना से , नियमित रूप से अपना आत्मपरीक्षण करने से प्राप्त हो सकता है।
Madhuchaitanya
Jan, Feb, March 2009
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