आत्मा बनो
"मन "कई बुरी बाते सोचता है । "शरीर "वह सब करने को भी तयार हो जाता है , "बुद्धि "भी मान जाती है । इन तीनों से ऊपर "आत्मा " होती है । वह इन तीनों की सहमति होने पर भी बुरी "घटना " होने नही देती है । क्योंकि आत्मा पवित्र है , शुद्ध है । आत्मा बनो ।
बाबा स्वामी
मस्कत , ओमान
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