गुरूकृपा और गुरुदक्षिणा में ही जीवन है।
गुरु जी तुम्हें सौंपते है, वह 'गुरूकृपा' है और तुम उनका क़र्ज़ चुकाने के लिए सौंपते हो, वह 'गुरुदक्षिणा' है। बस 'गुरूकृपा' और 'गुरुदक्षिणा' में ही जीवन है।
HSY 1 pg 146
गुरु जी तुम्हें सौंपते है, वह 'गुरूकृपा' है और तुम उनका क़र्ज़ चुकाने के लिए सौंपते हो, वह 'गुरुदक्षिणा' है। बस 'गुरूकृपा' और 'गुरुदक्षिणा' में ही जीवन है।
HSY 1 pg 146
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