सर्वोत्तम तो ध्यान है
" सर्वोत्तम " तो ध्यान है जो आपको स्वयं का गुरु बनाता है। सारा आनंद , सारा समाधान , सारे दर्शन भीतर ही भीतर प्राप्त हो जाते है। सारी खोज ही समाप्त हो जाती है। यह स्थिति प्राप्त होने के बाद कम-से-कम १० अन्य आत्माओं को तो आपने यह स्थिति प्राप्त करने के लिए प्रेरीत करना चाहिए क्योंकि मोक्ष पाने में नही , देने में ही है। आप स्वयं अपना परीक्षण करे , आप प्रति दिन कितने भीतर जा रहे है। नियमित ध्यान साधना करे और आप अपना स्वयं का निरीक्षण करे और यह उद्देश याद रखे की हम यहाँ केवल और केवल ध्यान करने के लिए आए है ।
परमपूज्य गुरुदेव
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