गुरु सानिध्य
अगर हम गुरु सानिध्य में जाए, और गुरु सानिध्य में भी अहंकार के साथ जाए तो उस से दुर्भाग्यशाली घटना कोई हो ही नही सकती। क्योंकि जिस स्थान पर अहंकार छोड़ा जा सकता है , जिस स्थान पर अहंकार छूट सकता है , जिस स्थान पर अहंकार से मुक्त हो सकते हो , अगर उस स्थान पे अहंकार को पकड़े रखा तो दुनिया में ऐसा कोई कोना नही है की अपने अहंकार को मुक्ति मिल सके। सारे झमेले अहंकार के है बाकी कुछ नही है।
गुरुपुर्णिमा २००७
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