भगवान पार्श्वनाथ

* आत्मा  सदैव  अनंत  चेतना  तथा  परमानंद  से  युक्त  होती  है । कोई  भी  मनुष्य  उसे  जाने  बिना , उसके  प्रति  श्रद्धा  रखे  बिना  तथा  उसमे  समाहित  हुए  बिना  सच्चा  सुख  प्राप्त  नही  कर  सकता  है ।

* आत्मा , अनंत  ज्ञान , अनंत  बोध , अनंत  शक्ति  एवं  परमानंद  के  साथ  स्वयं  में  परिपूर्ण  होती  है  ।

* आत्मा  अपनी  मूल  विशेशताओं  को  कभी  खोती  नही  है  तथा  बाहर  से  कुछ  ग्रहण  भी  नही  करती  है ।

* प्रत्तेक  आत्मा  स्वतंत्र  होती  है  और  किसी  भी  परिस्थिती  में  इन  विशेशताओं  से  वह  विमुख  नही  होती  है ।

   मधूचैतन्य
  जुलै २०१५

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