न कोई सुख है, न कोई दुःख है।

हमें जीवन में सुख और दुःख का अहसास दिलाने वाली एक मन की स्थिति है, एक भ्रम है। उसके पार चले जाओ तो न कोई सुख है, न कोई दुःख है। अब हमारा एक भ्रम है जो शाश्वत नहि है।

HSY 1 pg 138

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