शरीर शरीर पर नियंत्रण कर ही नही सकता है
* शरीर शरीर पर नियंत्रण कर ही नही सकता है।
* वास्तव में सुख याने क्या , यह आत्मसुख की खोज ही फिर उसे [ मनुष्य को ] किसी जिवंत गुरु के सानिध्य में ले जाती है।
* जो शक्ति का उपयोग दूसरों की सेवा में करता है , परमात्मा उसी को शक्ति देता है।
* मनुष्य स्वयं के करीब होकर भी स्वयं से सबसे अधिक दूर है क्योंकि स्वयं की ओर देखने की उसकी दिशा ही नही है।
पूज्य गुरुदेव
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