जय गणेश
" हे बाप्पा ! आप शुद्धता , पवित्रता का प्रतीक है और सुख -संतोष के दाता भी ! इस इट -सीमेंट के घर को तथा पंचतत्वों से निर्मित देह को शुद्ध -पवित्र रखने का प्रयास हम कर सकते है किंतु आपकी कृपादृष्टि के बिना यह संभव नही है । बाप्पा , इस घर में , हम सभी के मन में इतना संतोष भर दे की भौतिक सुविधाओं में मन न उलझे अपितु आत्मिक सुख की अनुभूति में लीन रहे ..बाप्पा , यह केवल आप ही कर सकते है ..केवल आप ..केवल आप ..! ! ! "
वंदनिय गुरुमाँ
"माँ " पुष्प १
पृष्ठ २२१
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