संतुलन
अगर नारियल में अच्छा खोबरा अंदर तयार हो गया और अच्छी मिठास उसमे प्राप्त हो गई तो फिर नारियल में पानी भीतर नही रहेगा क्योंकि वही पानी खोबरे में परिवर्तित हो गया होता है । और भीतर का पानी मीठा होता है , ऐसे नारियल में खोबरा नही होता है । यह एक रूपांतरित की प्रक्रिया है । मनुष्य के भीतर का भाव ही बाद में समय के साथ -साथ बुद्धि में परिवर्तित हो रहा है । इसीलिए समय के साथ -साथ भाव कम हो रहा है और बुद्धि अधिक विकसित हो रही है । लेकिन आवश्यकता है संतुलन की और उस संतुलन को बनाए रखने की ।
ही .का स .योग .
भाग ५ पृष्ठ ९९
पू .गुरुदेव
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