गुरु देह नही है , वह परम चैतन्य का माध्यम है ।
गुरु देह नही है , वह परम चैतन्य का माध्यम है । सामूहिकता गुरु का प्रिय स्थान है । चित्त से सभी साधक प्रेमभाव से एक स्थान पर एकत्रित हो , उस स्थान पर गुरु के चैतन्यसागर का अनुभव सभिको होता है ।
आज्ञा चक्र गुरु गुरु का स्थान है । आइए , सभी साधकोंके आज्ञाचक्र में विराजमान शिवकृपानंद स्वामीजी का स्वागत करे ।
॥ गुरु माँ ॥
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