गुरुदेव के माध्यम से परमात्मा तक

नदी के उस पार 'परमात्मा' होता है और नदी के इस पार 'हम' होते हैं। हम चाहकर भी उसे और वे चाहकर भी हमें मिल नहीं सकते हैं। लेकिन नदी (जीवनरूपी नदी) में एक स्थान ऐसा आया, जहाँ पर परमात्मा, श्री शिवबाबा के शरीररूपी 'पुल' से मेरी ओर आकर मुझसे मिला और मुझे उस पार कैसे जाया जाए, यह मार्ग भी बताकर गया। और मैंने बाद में अपना सारा ध्यान उसी पुल पर केंद्रित किया। *जब परमात्मा चैतन्य के रूप में इस गुरुदेव के माध्यम से इस ओर आ सकता है तो मैं भी इसी 'गुरुदेव' के माध्यम से परमात्मा तक पहुँच सकता हूँ।*

पूज्य गुरुदेव
।। श्री सदगुरू वाणी ।।
पृष्ठ - ३६

Comments

Popular posts from this blog

Subtle Body (Sukshma Sharir) of Sadguru Shree Shivkrupanand Swami

सहस्त्रार पर कुण्डलिनी