शरीररुपी वस्त्र निकालकर फेक दो , तो ऑटोमेटिकलि आत्मारुपी एहसास में कोई दाग नही है
जिस प्रकार से किसी शर्ट के ऊपर काले दाग है , नीले दाग है , पीले दाग है । लेकिन हम शर्ट निकालके फेक देते है । दुसरा शर्ट पहनते है तो सारे दाग से हम मुक्त हो जाते है । ठीक उसी प्रकार से , ये शरीररुपी वस्त्र निकालकर फेक दो , तो ऑटोमेटिकलि आत्मारुपी एहसास में कोई दाग नही है , कोई दोष नही है , कोई ईर्षा नही है , कोई अहंकार नही है , कोई लोभ नही है , कुछ नही है , कोई व्यवहार नही है । कुछ नही है , एकदम शून्य है । एकदम शून्य ! एकदम खाली । चैतन्य , चैतन्य और चैतन्य , सिर्फ चैतन्य है और कुछ नही है । उस चैतन्य का अनुभव लो ये मेरी शुद्ध इच्छा है , नमस्कार !
गुरुपुर्णिमा
२०१४
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