पूर्ण समर्पण

जब  किसी  का  पूर्ण  समर्पण  ईश्वर  अथवा  गुरुशक्तियों  के  प्रति  हो  तो  उसके  जीवन  में  उसे  किसी  तरह  की  कमी  का  अनुभव  नही  होता - पूर्ण  संतोष  का  भाव  जागृत  होता  है ।

मधुचैतन्य
अक्टूबर
२०१३

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